ट्विनसिटी के दोनों शहर की कप्तानी मिली लेकिन अभी तक न माया मिली न मिले राम…

दुर्ग । भिलाई । महकमे में यदि की किसी को बेचारे शब्द का उदाहरण देना होता है तो पुलिसकर्मी अपने बीचे के साहब का देते हैं, क्योंकि बेचारे साहब जब से शहर में आए हैं. ज्यादतियां ही झेल रहे हैं. पहले इकलौते शहर कप्तान के रूप विराजमान हुए तो सोचा सेंचुरी तो बनाएंगे ही. लेकिन अभी क्रीज पर खेलना शुरू ही किया था. किसी की नजर लग गई, जो अब तक नहीं वो हो गया. इकलौत कप्तानी करने वाले साहब के किसे का हिस्सा बांट हो गया. इस पर भी बेचारे साहब ने सब्र कर लिया. सबकी नजरों से बचकर दावपेंच लगाए तो खुद ही फंस गए. बात सिर से ऊपर निकल गई. पूरा मामला आरडीएक्स कहे जाने वाले बड़े साहब तक पहुंच गया. लताड़े भी खूब गए. करते भी कहा सो मन मसोस कर रह गए. ये मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था. साहब ने प्रॉपर्टी वाले से डीलिंग की गाथा आरडीएकस के कानों में पहुंच गई. सावन के अंधे साहब फिर भी बाज कहां आने वाले थे. लेकिन अपने ही कब्जे के दूसरे शहर की कप्तानी में रैंक में बड़े लेकिन तजुर्बे में छोटे समकक्षों ने नाक में दम कर दिया. बेचारे साहब की हालक जानकर उनके ही महकमे के लोगों कहते फिर रहे हैं कि दोनों शहरी की कप्तानी मिली लेकिन न माया मिली न मिले राम.

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