गोविंदा चौहान I छत्तीसगढ़ में पुलिस और जांच एजेंसियों को अब किसी भी मामले में आरोपी के नार्को टेस्ट के लिए हैदराबाद या दूसरे राज्य नहीं जाना पड़ेगा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में नार्को एनालिसिस टेस्ट शुरू हो गया है। पुलिस विभाग की ओर से इसके लिए काफी दिनों से प्रयास किया जा रहा था। एम्स में पहला नार्को टेस्ट 27 जुलाई को किया गया।
एम्स के फारेंसिक मेडिसिन और टाक्सिकोलाजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डा.) कृष्णदत्त चावली ने बताया कि इसमें एक संदिग्ध से पूछताछ करने के लिए नारकोसिस का उपयोग किया जाता है, जिसमें एक दवा को व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। देश में नार्को एनालिसिस का पहली बार वर्ष-2002 में गोधरा कांड जांच के दौरान उपयोग किया गया था।
एम्स के निदेशक (लेफ्टिनेंट जनरल, सेवानिवृत्त) डा. अशोक जिंदल ने कहा, एम्स में नार्को टेस्ट शुरू हो गया है। एम्स और फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी के बीच अक्टूबर-2023 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से संभव हुआ है। एनेस्थीसिया, जनरल मेडिसिन, इमरजेंसी मेडिसिन, फारेंसिक मेडिसिन और टाक्सिकोलाजी विभाग ने पूरी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक किया है।
नार्को टेस्ट क्या है?
- नार्को टेस्ट में एक दवा को व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे वह अर्धचेतन अवस्था में आ जाता है और सच बोलने लगता है।
- यह टेस्ट अपराध जांच में सत्य को उजागर करने के लिए किया जाता है।
नार्को टेस्ट कैसे काम करता है?
इस अवस्था में व्यक्ति की झूठ बोलने की क्षमता समाप्त हो जाती है और वह सच बोलने लगता है।

नार्को टेस्ट में व्यक्ति को एक दवा दी जाती है, जिससे वह आरामदायक और बातूनी हो जाता है।