विस्तार गोविंदा चौहान l हाल ही में रायपुर में हुई फायरिंग की घटना ने एक नई चुनौती पेश की है – गैंगस्टरों द्वारा ‘स्लीपर सेल’ का गठन। यह शब्द आमतौर पर आतंकवादी संगठनों से जुड़ा होता है, लेकिन अब गैंगस्टर भी इसी रणनीति का उपयोग कर रहे हैं।
‘स्लीपर सेल’ में आम लोगों की तरह दिखने वाले गुर्गे शामिल होते हैं, जो पेशेवर अपराधी नहीं होते हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर टारगेट किलिंग करने से भी नहीं हिचकिचाते हैं। ये लोग गैंगस्टरों के लिए सुपारी लेते हैं और फिर अपने नियमित जीवन में वापस चले जाते हैं।
रायपुर में हुई फायरिंग की घटना में भी ऐसे ही ‘स्लीपर सेल’ का उपयोग किया गया था। गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई और अमन साहू के गैंग से जुड़े अमन सिंह ने इस घटना की जिम्मेदारी ली है। पुलिस ने आठ आरोपितों को गिरफ्तार किया है और शूटरों की तलाश में जुटी हुई है।
इस घटना के बाद, प्रभावित कंपनी ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का निर्णय लिया है। सुरक्षा के लिए नए उपाय किए जा रहे हैं, जिनमें गेट की ऊंचाई बढ़ाना, पार्किंग शेड बनाना और सीसीटीवी कैमरे लगाना शामिल है।
गैंगस्टरों द्वारा ‘स्लीपर सेल’ का गठन एक नई चुनौती है जिसे पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को ध्यान में रखना होगा। यह एक खतरनाक रणनीति है जो आम लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
