
लखनऊ। मेदांता अस्पताल में विनोद केशरवानी के साथ हुई घटना ने स्वास्थ्य सेवा और नेताओं की असंवेदनशीलता पर सवाल उठाए हैं। विनोद ने अपने पिता के इलाज के दौरान अस्पताल द्वारा 20 लाख रुपये की वसूली का आरोप लगाया है और भाजपा नेताओं द्वारा मदद न करने की बात कही है। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवा की वर्तमान स्थिति और नेताओं की चुप्पी पर प्रकाश डाला है।
मामले की जानकारी:
- विनोद केशरवानी ने अपने पिता का इलाज मेदांता अस्पताल में कराने के दौरान 20 लाख रुपये की वसूली का आरोप लगाया है।
- उन्होंने भाजपा नेताओं से मदद के लिए संपर्क किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली।
- विनोद ने बताया कि उनके पिता को बेहतर स्वास्थ्य स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन तीन दिनों के भीतर ही उनकी हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा।
- विनोद का आरोप है कि अस्पताल ने जांच और इलाज के नाम पर उनसे दो लाख रुपये का शुल्क लिया।
- अगले दस दिनों में इलाज के नाम पर लगभग 20 लाख रुपये की वसूली की गई।
- अंत में, इस बड़े खर्चे के बावजूद, अस्पताल ने उनके पिता को डिस्चार्ज कर दिया।
- विनोद ने उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और नंद गोपाल नंदी सहित कई प्रमुख नेताओं को फोन किया, लेकिन इस संकट की घड़ी में कोई भी उनकी सहायता के लिए आगे नहीं आया।
- विनोद ने अपने वीडियो में कहा कि अगर उनके साथ, जो कि एक सक्षम और सशक्त व्यक्ति हैं, ऐसा हो सकता है, तो आम जनता के साथ क्या हो रहा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
- उन्होंने सरकार की व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जब एक सक्षम व्यक्ति को इस प्रकार की मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है, तो आम लोगों की स्थिति कितनी भयावह हो सकती है।