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गोविंदा चौहान lभिलाई. दोस्तों रोजनामचा के खबरी लालों के पास एक पुराना मामला आया है। हालांकि कहानी करीब महीनेभर पुरानी है। लेकिन अब तक सार्वजनिक नहीं हुई, इसलिए अपने व्यूअर्स तक पहुंचाना जरूरी था, ताकि वे भी आनंद ले सकें। शहर के एक अफसर जिन्होंने निरीक्षक से लेकर अफसर बनने का पूरा सफल लूपलाइन में काटा था। जब उन्हें मेन स्ट्रीम में जगह मिली तो साहब कुबेरपति बनने का मौका कैसे छोड़ने वाले थे, इसलिए अपने पसंदीदा और विश्वास पात्र लोगों को काम पर लाग दिया। चंद महीने में साहब की दुकानदारी ने जोर पकड़ लिया। इस बीच एक सिपाह-सालार ने उस जगह हाथ डाल दिया, जहां से एक मठाधीश की बंधी आ रही थी। साहब का आदमी होने के नाते रकम तो मिल गई लेकिन उसे भी नहीं पता था कि उसने मधु मक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया है। दरअसल उसने जिस गांजा सप्लायर से उगाही की। वो सप्लायर पहले से ही क्राइम ब्रांच के मठाधीश को महीनादारी देता था। ये बात उस मठाधीश नगवार गुजरी। उसने भी एक चाल चल दी। उसने एक जनप्रतिनिधि के ठुल्ले का सहारा लेकर उस सिपाह-सालार को सीधे कप्तान साहब के सामने पेश कर दिया, फिर क्या था कड़क मिजाज वाले कप्तान साहब का पारा सातवें आसमान तक पहुंच गया। चर्चा है कि सप्लायर की रकम वापसी कराई गई। बाद में कुछ एेसा हुआ कि उस सिपाह-सालार का सम्मान लात-घूंसों से हुआ फिर असम्मानित रक्षित केंद्र में रवानगी कराई गई।