जब चली माता विसर्जन को तो अशमान के छलक पड़े आँसु

सत्येन्द्र बडघरे कवर्धा – नौ दिनो तक चलने वाले नवरात्री पर्व के बाद जब माँ जगत जननी अपने विसर्जन के लिए पिपरिया नगर में निकली तो नगर वासीयो का हुजुम उनके पिछे निकल पड़ा सभी कि आँखे नम थी मानो उनसे कोई अपना बिछड़ रहा हो नगर वासीयो के इस गमगीन माहौल को देखते हुए कुदरत भी भला कहाँ चुप रहते माता कि इस विदाई पर आसमान से देवताओ ने भी अपना आँसु बहाना प्रारंभ कर दिया और फिर शुरू हुआ बारीस का दौर,

झमाझम बारीस के बीच माता की प्रतिमा को नगर भ्रमण कराने में लोगो को थोड़ी तकलीफ जरूर हुई परंतु भक्तो का हौसला बुलंद रहा और भला क्यु न हो जहाँ आस्था और भक्ती कि बात हो वहां देवताओं को भी भक्तो का साँथ देना हि पड़ता है,

पिपरिया मे विसर्जन के लिए निकली दुर्गा जी की प्रतिमाए है
जो भारी बरसात के बीच नगर भ्रमण पर निकाली है घंटो तक हुए बरसात में माता ने नगर भ्रमण कि हालाकी नगर के आधे भ्रमण के बाद बरसात थम गया जिसके का नगर भ्रमण का कार्य पूर्ण हुआ ।

नगर में भक्तो ने विसर्जन पर अनेको झाकियां भी निकाली थी जो नागरीको के लिए प्रमुख आकर्सण का केन्द्र रहा, साथ ही ढोल और मंजिरे कि ताल पर भक्तो ने माता का जस पचरा का गायन किया जस गायन पर माता अनेको भक्तो के उपर अपना स्परूप दिखाई और जिसके चलते अनेको स साधको के उपर माता कि सवाली देखने को भी मिली नगर में लगभग 15 से बीस के तादात में प्रतिमाए थी, जिन्हे भक्तजन अपने-अपने पंडालो से लेकर निकले सभी प्रतिमाओं को परंपरा अनुसार पिपरिया थाने मे दर्शन हेतु भक्तगण लेकर पहुँचे तत्पश्चात बडे बाजार चौक से कतारबद्ध होकर माता विसर्जन को निकली बडे बजार से साहूपारा होते हुए छोटे बाजार पहुँची जहाँ कुछ भक्तो ने प्रसाद का वितरण किया, फिर छोटे बाजार से सुनार पारा होकर बड़े मंदिर चौक से होतो होते हुए नगर के गौ घाट स्थित संकरी नदी के तट पर पहुंची जहाँ माता कि प्रतिमाओ का विसर्जन किय गया नदी तट पर सुरक्षा के मद्देनजर पुलीस के जवान भी तैनात थे ,वही विसर्जन कि इस बेला में नगर वासीयो के साथ अंचल के जनमानस भी माता को विदाई देने हजारो के तादात में पहुँचे सभी की आँखे नम थी और मन में श्रद्धा और भक्ति मानो माता को कह रहे हो कि माँ सभी का कल्याण करो और जल्द ही अगले नवातात्री पर्व में आकर हमे दरसन दो।

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