
दुर्ग, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा प्रधान जिला न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसके तहत जिला न्यायालय दुर्ग, कुटुम्ब न्यायालय, दुर्ग, व्यवहार न्यायालय भिलाई-3 व्यवहार न्यायालय पाटन एवं व्यवहार न्यायालय धमधा, तथा किशोर न्याय बोर्ड दुर्ग, श्रम न्यायालय दुर्ग, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग, राजस्व न्यायालय दुर्ग, एवं उपभोक्ता फोरम दुर्ग में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।

प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभिनव पहल करते हुए सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र से जिला न्यायालय दुर्ग में तत्समय उपस्थित श्रीमती मनजीत कौर द्वारा नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ माँ सरस्वती के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवल कराते हुए प्रातः 10.30 बजे किया गया। शुभारंभ कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग के अलावा जिला अधिवक्ता संघ, दुर्ग के सचिव श्री रविशंकर सिंह एवं अन्य पदाधिकारीगण, न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण तथा विभिन्न बैंक के वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
नेशनल लोक अदालत में कुल 29 खण्डपीठ का गठन किया गया। परिवार न्यायालय दुर्ग हेतु 03 खण्डपीठ, जिला न्यायालय दुर्ग हेतु 20, तहसील व्यवहार न्यायालय भिलाई-3 में 01 खण्डपीठ, तहसील व्यवहार न्यायालय पाटन हेतु 02 खण्डपीठ, तहसील व्यवहार न्यायालय धमधा में 01 खण्डपीठ, किशोर न्याय बोर्ड हेतु 01 तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के लिए 01 खण्डपीठ का गठन किया गया। इसके अतिरिक्त राजस्व न्यायालय में भी प्रकरण का निराकरण हेतु खण्डपीठ का गठन किया गया था।
उक्त नेशनल लोक अदालत में राजीनामा योग्य दाण्डिक सिविल, परिवार, मोटर दुर्घटना दावा से संबंधित प्रकरण रखे गये तथा उनका निराकरण आपसी सुलह, समझौते के आधार पर किया गया। इसके अलावा बैकिंग / वित्तीय संस्था, विद्युत एवं दूरसंचार से संबंधित प्री-लिटिगेशन प्रकरणी (विवाद पूर्व प्रकरण) का निराकरण भी किया गया। लोक अदालत में दोनों पक्षकारों के आपसी राजीनामा से प्रकरण का शीघ्र निराकरण होता है। इसमें न तो किसी की हार होती है न ही किसी की जीत होती है।
आज आयोजित नेशनल लोक अदालत के अवसर पर कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, दुर्ग के सहयोग से जिला न्यायालय परिसर दुर्ग में आने वाले पक्षकारांे के स्वास्थ्य जाँच/परीक्षण हेतु एक दिवसीय निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविर का आयोजन किया गया। उक्त विभाग/कार्यालय की ओर से डॉ. डिगेश्वर बघेल, चिकित्सा अधिकारी, एवं अन्य सहायक कर्मचारियों द्वारा सेवाएं प्रदान की गयी। स्वास्थ्य जाँच शिविर में अन्य न्यायिक अधिकारीगण, अधिवक्तागण एवं बड़ी संख्या में आमजनों के द्वारा अपने स्वास्थ्य की जांच/परीक्षण कराया गया और बहुतायत संख्या में लोग लाभान्वित हुए है। उक्त शिविर के अलावा मोबाईल मेडिकल यूनिट की व्यवस्था भी आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में की गई थी। राजीनामा हेतु न्यायालय में उपस्थित एक पक्षकार को अचानक हीट स्टोक के कारण चक्कर आने से संबंधित पक्षकार को पैरालीगल वालिन्टियर के माध्यम से व्हील चेयर में बिठाकर मोबाईल मेडिकल यूनिट तक पहुंचाया गया। जहां उपस्थित चिकित्सकों के द्वारा संबंधित पक्षकार का स्वास्थ्य परीक्षण कर चिकित्सकीय लाभ पहुंचाते हुए आवश्यक दवाईयां प्रदान की गई।
इसके अतिरिक्त वर्तमान में शासन के निर्देशानुसार वर्ष 2019 के पूर्व पंजीकृत वाहनों में हाई सिक्यॉरिटी नंबर प्लेट लगाये जाने हेतु क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय से समन्वय स्थापित कर आमजनों हेतु शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें अनेक लोग लाभान्वित हुए।
उक्त आयोजित नेशनल लोक अदालत में माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के द्वारा कोर्ट भ्रमण के दौरान पक्षकारों व बैंक प्रबंधकों से रू-ब-रू हुए।
वर्ष 2025 के द्वितीय नेशनल लोक अदालत में कुल 17993 न्यायालयीन प्रकरण तथा कुल 518767 प्री-लिटिगेशन प्रकरण निराकृत हुए जिनमें कुल समझौता राशि 482540385 रूपये रहा। इनमें बैंक के प्रीलिटिगेशन के कुल 20, विद्युत के कुल 215 मामले निराकृत हुए जिनमें कुल समझौता राशि लगभग 2734771 रही है। इसी कम में लंबित निराकृत हुए प्रकरण में 322 दाण्डिक प्रकरण क्लेम के 44 प्रकरण, पारिवारिक मामले के 90 चेक अनादरण के 308 मामले, व्यवहार वाद के 51 मामले श्रम न्यायालय के कुल 06 मामलें तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के कुल 6460 मामले निराकृत हुए।
उक्त नेशनल लोक अदालत में निराकृत प्रकरण के कुछ महत्वपूर्ण प्रकरण निम्नानुसार रहे –
मामा-भांजा एवं पति-पत्नि के आपसी राजीनामा से आपराधिक मामला हुआ समाप्त-
खंडपीठ के 13 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती श्वेता पटेल, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग न्यायालय के दो मामलें है, जिसमें प्रथम मामला शासन विरुद्ध संजय यादव जिसमें प्रार्थी श्री अजय यादव अभियुक्त संजय यादव का भांजा है। अभियुक्त संजय यादव के द्वारा अपने भाजे अजय यादव से गाली गलौच जान से मारने की धमकी, मारपीट एवं मोटर सायकल में तोड़फोड़ की गयी जिसके तहत थाना जामुल में अंतर्गत धारा 294, 506 बी, 323, 427 भा.द संहिता पंजीबद्ध होकर मामला न्यायालय में प्रस्तुत होने से उक्त प्रकरण में आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में अभियुक्त व प्रार्थी जो आपस में मामा-भांजा थे को न्यायालय द्वारा समझाईश दिये जाने से अभियुक्त व प्रार्थी आपसी राजीनामा से मामला समाप्त कर मामा-भाजा आपस में पुनः मधुर संबंध स्थापित कर आपस में लड़ाई झगड़ा पुनः नहीं करना व्यक्त कर राजीखुशी से अपने घर वापस गए।
सबंधित खण्डपीठ में ही दूसरा मामला जिसमें अभियुक्त ए. वेंकटराव व प्रार्थीया आहत संजना आडिल आपस में पति-पत्नी है। मामला थाना खुर्सीपार का है जिसमें अभियुक्त ए. वेंकटराव के द्वारा प्रार्थीया/आहत संजना से गाली-गलौच, जान से मारने की धमकी एवं मारपीट किया था। मामला थाना जामुल में अंतर्गत धारा 296, 351 एवं 115 भारतीय न्याय संहिता पंजीबद्ध होकर मामला न्यायालय में प्रस्तुत होने से उक्त प्रकरण में आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में अभियुक्त व प्रार्थीया जो आपस में पति-पत्नी थे को न्यायालय द्वारा समझाईश दिये जाने से अभियुक्त व प्रार्थीयों आपसी राजीनामा से मामला समाप्त कर आपस में लड़ाई झगड़ा पुनः नहीं करना व्यक्त कर राजीखुशी से अपने घर वापस गए।
अन्य आपराधिक मामले जो आपसी राजीनामा से समाप्त हुए –
मामला खंडपीठ क्रमांक 17 के पीठासीन अधिकारी श्री विरेन्द्र सिंह के न्यायालय का है। जिसमें जमीन बंटवारे को लेकर परिवार के रिश्तेदारों के बीच वाद-विवाद इतना अधिक बढ़ गया कि मामला न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हो गया। आज नेशनल लोक अदालत के अवसर पर दोनों पक्ष जो आपस में रिश्तेदार थे, को बैठाकर माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री के. विनोद कुजूर एवं संबंधित खंडपीठ के पीठासीन अधिकारी श्री विरेन्द्र सिंह के द्वारा काउंसिलिंग कर इन्हें परिवार के महत्व व भाईचारे से रहने के बारे में समझाईश दिये जाने से दोनों पक्षकार आपस में राजीनामा कर मामला समाप्त कर लिया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से एक परिवार फिर से खुशहाल हुआ।
मामला खंडपीठ क्रमांक 10 के पीठासीन अधिकारी श्री पंकज दीक्षित, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दुर्ग के न्यायालय का है। जिसमें एक ही मोहल्ले में रहने वाले युवकों के बीच लड़ाई झगड़ा व मारपीट हो गई थी। जिसमें धारा 294, 506, 323 एवं 325 भा.द.वि. का आरक्षी केन्द्र पद्मनाभपुर में दर्ज होने तथा मामला न्यायालय में प्रस्तुत होने से प्रकरण के आरोपी तथा प्रार्थी को साथ बैठाकर एक ही मोहल्ले में रहकर एक दूसरे के प्रति दुर्भावना नहीं रखने तथा जरूरत आने पर एक दूसरे का सहारा बनने की समझाईश दिये जाने से एक ही मोहल्ले में रहने वाले अभियुक्त द्वारा प्रार्थी से माफी मांगने पर प्रार्थी द्वारा उदारतापूर्वक आरोपी को माफ कर मामला आपसी राजीनामा से समाप्त किया गया।
मामला खंडपीठ क्रमांक 16 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती कामिनी जायसवाल, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है। जिसमें प्रार्थिया कुमारी साहू द्वारा थाना जामुल में रिपोर्ट दर्ज करायी गई कि उनके पति राहुल साहू द्वारा प्रार्थिया के चरित्र पर संदेह करते हुए अश्लील गालिया एवं जान से मारने की धमकी देते हुए लात-मुक्के से मारते हुए मारपीट की, जिससे मामला संबंधित थाने में अंतर्गत धारा 296, 115 एवं 351 भारतीय न्याय संहिता दर्ज होकर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हुआ। जिसमें माननीय न्यायालय के द्वारा आरोपी व प्रार्थिया को समझाईश दी गई। आरोपी के द्वारा खुले न्यायालय में अपनी पत्नी से हाथ जोड़कर क्षमा मांगी गई। पत्नी के द्वारा क्षमायाचना स्वीकार कर भविष्य में ऐसा न करने का वचन लिया गया और मामला आपसी राजीनामा के आधार पर समाप्त किया गया। इस प्रकार उनके टूटते हुए घर को नेशनल लोक अदालत के माध्यम से बचा लिया गया।
विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से निराकृत हुए मामले –
मामला खंडपीठ क्र. 16 के पीठासीन अधिकारी रवि कुमार कश्यप, न्यायिक मजिस्टेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है। जिसमें अभियुक्तगण के विरूद्ध धारा 379 भा.दं.सं. के अंतर्गत अभियोग पत्र प्रस्तुत होने से संबंधित मामला आज नेशनल लोक अदालत में प्रस्तुत हुआ। उक्त मामले में घटना दिनाक को जब प्रार्थी अपने चाचा के मोटर साइकिल से काम पर गया था तब संबंधित मोटर साइकिल को किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा चोरी कर ले गया था जिस पर अज्ञात आरोपी के विरूद्ध थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गई कि आज नेशनल लोक अदालत के दिन प्रार्थी स्वतः विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होकर प्रकरण में आरोपी के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं किया जाना व्यक्त कर आपसी राजीनामा से मामला समाप्त किया गया।
मामला खंडपीठ क्र. 09 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती रश्मि नेताम, सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश दुर्ग के न्यायालय का है, जिसमें अभियुक्ता द्वारा न्यायालय में अपील प्रस्तुत किया गया था। उक्त मामलें में अभियुक्ता राजीनामा करना चाहती थी किंतु परिवादी / उत्तरवादी के न्यायालय में में उपस्थित नहीं होने से राजीनामा करना संभव नहीं हो पा रहा था। उक्त परिवादी के संबंध में जानकारी लिये जाने पर पता चला कि परिवादी / उत्तरवादी अन्य प्रकरण में केंद्रीय जेल गुवाहाटी, असम में निरूद्ध है। इस पर सेंटल जेल गुवाहाटी से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से संपर्क कर परिवादी/उत्तरवादी से संपर्क कर उपस्थिति सुनिश्चित करवाते हुए मामले में राजीनामा बयान लेते हुए संबंधित मामला आज नेशनल लोक अदालत में समाप्त हुआ। जो न्यायालय द्वारा माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के ई-कोर्ट मिशन अंतर्गत प्रदत्त कम्प्यूटर एवं तकनीकों का पूर्ण रूपेण प्रयोग करते हुए उक्त मिशन की सफलता को दर्शाता है।
दाम्पत्य जीवन हुआ फिर से खुशहाल मामला खंडपीठ क्र. 01 के पीठासीन अधिकारी
श्रीमान थॉमस एक्का, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग के न्यायालय का है, जिसमें आवेदिका ने अनावेदक के विरूद्ध स्वयं एवं अवयस्क पुत्र के भरण पोषण हेतु मामला प्रस्तुत किया था। आवेदिका एवं अनावेदक के मध्य विवाद होने से आवेदिका मायके में रह रही थी। पक्षकारों के मध्य सुलह कार्यवाही कराये जाने पर उभयपक्ष पुरानी बातों को भुलाकर साथ-साथ रहकर दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने को तैयार हुए। सुलह समझाईश पश्चात आवेदिका एवं अनावेदक अपने अवयस्क पुत्र के साथ राजी-खुशी से वापस घर चले गये इस प्रकार सुलहवार्ता सफल रही।
मामला खंडपीठ क्र. 02 के पीठासीन अधिकारी श्रीमान शेख असरफ, प्रथम अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण दुर्ग के न्यायालय का है, जिसमें टाटीबध चौक रिलायंस तालपत्री के सामने जिला रायपुर में हुई दुर्घटना में पुष्पेन्द्र यादव पिता संतोष यादव की मृत्यु होने से अनावेदकगण के विरूद्ध 7948000 रूपए क्षतिपूर्ति का मामला प्रस्तुत किया गया था। आज नेशनल लोक अदालत के अवसर पर संबंधित मामले में उभयपक्षों द्वारा आपसी राजीनामा कर मामला समाप्त किया गया। जिसमें राजीनामा राशि 2600000 रूपये का अवार्ड पारित हुआ।