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रविकांत मिश्रा । भिलाई: पुलिस महकमे में दो दिन पहले आई लिस्ट के बाद मुख्यालय से बड़े बाबू यानी लंगड़ा त्यागी की चर्चा लोगों की जुंबा पर है. लोगों का कहना है कि इन बाबू साहेब का कद तो कप्तान से भी बड़ा है, तभी तो सालों से थानों में जमे मठाधीशों का बाल बाका तक नहीं होने दे रहे हैं. इसके उदाहरण सुपेला, छावनी, जामुल, खुर्सीपार, मोहन नगर, दुर्ग कोतवाली जैसे तमाम थानों में देखने को मिल जाएंगे. दअसल कहने तो ये बाबू साहेब बड़े दफ्तार में बैठ एक रीडर ही है. जिसका काम केवल कलम घिसना है. लेकिन सेटिंग इतनी तगड़ी बिठा रखी है कि कोई अफसर आए या जाए. इन नुमाइदों को कोई टस से मस तक नहीं कर सकता.

चर्चा यह भी है कि इसके एवज में काली स्कॉर्पियों में चलने वाला ये लंगड़ा त्यागी सेवा शुल्क भी वसूलता है. लेकिन बड़ी सच्चाई यह है कि थानों में जमे ये मठाधीश बिना संरक्षक से एक दशक से एक ही थाने में बिना जुगाड़ के रह ही नहीं सकते हैं. कई कप्तान आये और गए लेकिन इन मठाधीशों को कोई हिला नहीं पाया वर्षो से इन मठाधीशो ने इन थानो को अपना मठ बना रखा है। जहा अपराधी मठो मे साहेब से पहले इन्ही को चढ़वा चढ़ाने आते है. मुखबिर और सूत्रवीर दोनों ही इस बात को पुख्ता कर चुके है की बड़े दफ्तर का लंगड़ा त्यागी ही इन मठाधीशो का मठाधिश्वर सरदार है।अब इस बात की सच्चाई क्या है. ये हम तो सिद्ध नहीं कर सके लेकिन ताजा लिस्ट से ये यह बात जग जाहिर जरूर हो गई है!