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रविकांत मिश्रा
भिलाई: महकमे में चम्मबाजों की कमी नहीं है, जो अपने काम निकालने या मलाईदार जगह पर बने रहने के लिए कुछ भी कर गुजरने से नहीं हिचकते हैं. ऐसे ही एक चम्मबाज के कारनामों की चर्चा जोरों पर है. साहबे के घर सब्जी-भाजी पहुंचाना, उनके पेट्स को रोजाना सुबह-शाम घुमाना, कपड़े धुलवाना, बच्चों को स्कूल छोड़ना, साहेब का रौब दिखाकर मैडम को फ्री में शॉपिंग करना जैसे तमाम गुण चम्मचबाजों में आम हो गए. लेकिन हम जिस चम्मचबाज की चर्चा कर रहे हैं. वो दूसरों से एक कदम और आगे है. जातिवाद का कार्ड खेलकर साहबों को सलामी ठोकने की जगह सीधे पैरों में गिरने का गुण बखूबी आता है. इन दिनों ये चम्मबाज इसी ट्रिक का इस्तेमाल कर मौज मे नौकरी काट रहा है. इसकी बदौलत कभी थाने मेें काम करते नहीं दिखेगा. सुबह से शाम तक एक साहेब के दफ्तर से दूसरे साहेब के पास जाकर हाजरी लगाता रहा है. महकमे से बाहर खुद को अफसरों का करीबी बातकर कटिंगबाजी की जगत में लगा रहता है. रात में अंगूरी की बेटी के साथ टाउनशिप के किसी न किसी कोने में बैठक रंगरेलिया मनाते जरुर दिख जाएगा. उसे देख महकमे के दूसरे साथी भी कहने लगे है की चम्मचागिरी के पूरे 36 गुणों के साथ अवतरित हुए महाराज. साहिब के पेरों में गिरकर नौकरी चलाने का गुण को कई इनसे सीखे!