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रविकांत मिश्रा
भिलाई:युवाओं के बड़े वर्ग को हिंसक और पागल बनाने वाली नशीली दवाइयों पर सरकार सख्ती से बैन के दावे समय समय पर रहती है, लेकिन पूरे प्रदेश में नशे के कारोबारियों के नेटवर्क की पहुंच शहरों की हर तंग गलियों तक है। ये दवाइयां प्रतिबंधित हैं, डाॅक्टर के प्रेस्क्रिप्शन (पर्ची) के बिना नहीं बेची जा सकतीं। लेकिन नशेड़ियों से डाॅक्टर पर्ची मांगी जानी बंद है। दिलचस्प ये है कि नशेड़ियों को ये दवाइयां मेडिकल स्टोर से लेकर राशन की दुकानों में भी मिल रही हैं।
दुर्ग-भिलाई की घनी आबादी और झुग्गी इलाके में नशीली दवाइयों का पागलपन ज्यादा है। फनसीडील हो या एल्प्राजोलम, नेट्रावेट हो या कोडीन और टोरेक्स सिरप नशे के आदी लोगों को आसानी से मिल रही है। ड्रग विभाग के अफसर लगातार जांच और कार्रवाई का हवाला देकर खामोश बैठे हैं और नशे का धंधा गली-गली फैल रहा है।कुछ मेडिकल स्टोर्स नशे का कारोबार कर रहे हैं। दोगुनी-तिगुनी कमाई के चक्कर में दवा दुकान वाले ऐसी दवाएं बेच रहे हैं, जिनका उपयोग करते ही नशा छा जाता है। ये दवाएं जीवन रक्षक तो हैं, लेकिन नशीली होने के कारण डाॅक्टर की पर्ची के बिना बेचना बैन है। पर बाजार में दवाएं धड़ल्ले से मिल रही हैं। सैकड़ों युवा इन दवाओं की गिरफ्त में फंसकर पागलपन की दहलीज तक पहुंच चुके हैं।
