
बिलासपुर । भाटापारा निवासी जीवन लाल की दुर्घटना के बाद सिम्स में इलाज के लिए भर्ती हुए थे। उनका दायां पैर बुरी तरह से छतिग्रस्त हो गया था, जिसे बचा पाना काफी चुनौतीपूर्ण था। पैर की हड्डियां पूरी तरह टूट गई थीं, खून का बहाव भी नहीं पहुंच रहा था, और पैर के अंगूठे में आक्सीजन भी नहीं बता रहा था। ऐसे में मरीज और उसके परिजन भी समझ गए कि अब जान बचानी है तो पैर काटना ही होगा।
लेकिन सिम्स के आर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर दीपक जांगड़े ने हार नहीं मानी और जीवन लाल के पैर को बचाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने कहा, “मुझे इलाज करने दो, मैं पैर को बचाने की पूरी कोशिश करूंगा।” इसके बाद सिम्स के आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के डॉक्टर दीपक जांगड़े और उनकी टीम ने तीन घंटे तक जटिल सर्जरी की।
सर्जरी के दौरान, डॉक्टरों ने पैर की हड्डियों को जोड़ा, खून के बहाव को सामान्य किया, और पैर के अंगूठे में आक्सीजन की आपूर्ति बहाल की। यह एक जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया थी, लेकिन डॉक्टरों की मेहनत और समर्पण ने जीवन लाल के पैर को बचाने में सफल हुए।
अब जीवन लाल पूरी तरह से स्वस्थ हैं और आने वाले कुछ दिनों में एक बार फिर अपने पैरों पर चलने में सक्षम हो जाएंगे। यह एक अद्भुत उदाहरण है कि कैसे डॉक्टरों की मेहनत और समर्पण से जान बचाई जा सकती है। सिम्स के डॉक्टरों की इस जादुई सर्जरी ने जीवन लाल को एक नई जिंदगी दी है।