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भिलाई: इन दिनों पुलिस महकमे का एक अदना सा सिपहसलाहकार खूब सुर्खियां बटोर रहा है. थाने से लाइन और लाइन से थाने के चक्कर काटते-काटते ये महोदय किसी तरह स्पेशल ब्रांच में पहुंच गए. बस यही से मान्यवर ने इतिहास रचना शुरू कर दिया. हालांकि महकमे में तो स्पेशल ब्रांच का इसलिए गठन किया जाता है, ताकि स्पेशल टॉस्क पर काम करने वालों को थानों के बार्डर की उलझन में फंसना न पड़े. शहर की कानून व्यवस्था को कायम रखने में मददगार बन सकें.लेकिन आपको भी पता होता इससे उलट ही है. ऐसे में ये साहब भी कहां किससे पीछे रहने वाले थे. हालांकि ऐसे मामलों में आटे में नमक चल जाता है लेकिन इन बंधु के कारनामे तो सबसे जुदा हैं. कई थानों की खाक छानने की वजह से शहर में अपने पंटर पाल रखे हैं. जैसे ही इन्हें पंटरों से वसूली की सुगंध आती है तो दुर्ग क्या-भिलाई क्या.. बॉर्डर लेस पुलिसिंग के तहत वसूली के लिए पहुंच जाते हैं. लेकिन वसूली के मामले में भी इन्हें महारत हासिल है. हाथ की सफाई और केवल महादेव के भक्तों तक ही पहुंचाते हैं, ताकि मामला लीके होने की कोई गुंजाइश बचे ही ना और वसूली में मोटी दमड़ी मिल सके. लेकिन दीवारों के भी कान होते हैं! और इश्क मुस्क छुपाये छुपता भी नहीं है.सो ये भी कब तक सुमड़ी में रहने वाले थे.धीरे-धीरे इनके कारनामों की चर्चा थानों तक पहुंची तो बार्ड के फेस में फंसे सगे सांगवारियों ने ही इन्हें महकमे के स्नाईपर डॉग संज्ञा की दे डाली. इस महान हस्ती स्नाईपर डॉग को वसूली में इनके गुरु से दीक्षा प्राप्त हुई है। महकमे में इस बात की भी चर्चा तेज़ है की गुरु गुड़ ही रह गए और चेला चीनी हो गया. गुरु भी अपने चेले के कारनामें सुन कर दंग है। और सोच रहे की ऐसे कारनामें के लिए तो जिले मे सिर्फ मुझे ही जाना जाता था लेकिन मेरा प्रिय आज्ञाकारी शिष्य मेरे ही तर्ज पर काम करते करते मुझसे भी आगे निकल गया फिलहाल स्नाईपर डॉग के सूंघ कर महादेव के भक्तो तक पहुंचने का सिलसिला जारी है। महादेव के भक्तों ने इस स्नाईपर डॉग को भैरो की संज्ञा दी है। और कहते फिर रहे है की सावधान रहो भक्तों नहीं तो सूंघते सूंघते भैरो आ जायेगा।