देहदान की अनूठी मिसाल: गीता मुखर्जी की पार्थिव काया चिकित्सा अध्ययन हेतु दान

गोविन्द चौहान l भिलाई l 145 वीआईपी नगर, रिसाली निवासी गीता मुखर्जी ने मरणोपरांत अपना मृत शरीर मानवता की भलाई के लिए चिकित्सा अध्ययन हेतु दान किया है। यह एक अनूठी मिसाल है जो देहदान के महत्व को दर्शाती है।

गीता मुखर्जी ने 21 सितंबर 2019 को अपनी बहू जयश्री मुखर्जी के साथ संयुक्त रूप से प्रनाम के अध्यक्ष पवन केसवानी की काउंसलिंग के माध्यम से देहदान की वसीयत जारी की थी। 81 वर्ष की आयु में उनका निधन सेक्टर-9 हॉस्पिटल में इलाज के दौरान हुआ था।

उनकी पार्थिव काया श्री शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज भिलाई में अध्ययन एवं अध्यापन हेतु दान की गई है। इस पुनीत कार्य में उनके परिजनों के अलावा प्रनाम के सदस्यों का भी विशेष योगदान रहा है।

मानवसेवी संस्था प्रनाम ने अब तक 2042 लोगों को देहदान हेतु प्रेरित किया है और 212 लोगों की मरणोपरांत उनकी पार्थिव काया चिकित्सा अध्ययन हेतु दान की जा चुकी है। यह एक महान कार्य है जो मानवता की भलाई के लिए किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *