गोविंदा चौहान दुर्ग – पुलिस प्रशासन की लगातार कार्यवाही के बावजूद भी सट्टा रुकने का नाम नहीं ले रहा है वजह सिर्फ छूटभैये नेताओं की दखलदाजी है, पुलिस कार्रवाई करना चाहती है लेकिन छुटभैये नेता उनके किए धरे पर सटोरियों को छुड़ाकर पानी फेर रहे हैं एक थाने से मिली जानकारी के मुताबिक सटोरियों पर पुलिस कार्यवाही तो कर रही है लेकिन नेतागिरी के आगे पुलिस बेबस और लाचार है।
सट्टा नंबर वाला चार्ट उपलब्ध कराते हैं सटोरिए
सट्टे के इस खेल को बढ़ावा देने सटोरिए ग्राहकों को मुफ्त में स्कीम देखने सट्टा नंबर वाला चार्ट उपलब्ध करा रहे हैं इसका गुणा भाग कर ग्राहक सट्टे की चपेट में बुरी तरह सेफस कर पैसा इस अवैध कारोबार में गवा रहा है। शहर में बढ़ रहे अपराध पर अंकुश लगाने की पुलिस प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी सट्टा जुआ अवैध नशीली दवाइयों का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। दुर्ग में पुलिस को गुंडे बदमाशों के साथ सटोरियों और जुआरियों का फड लगाने वाले के साथ इन्हें संरक्षण देने वाले छूटभैया नेताओं से रोज जूझना पड़ता है ग्रुप में सट्टा जुआ और नशे के कारोबारियों पर हाथ डालते ही राजनीतिक दबाव बनाना शुरू हो जाता है। पुलिस अपराध नियंत्रण करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग करने के साथ जागरूकता अभियान भी चला कर देख चुकी है लेकिन अवैध कारोबार की चुनौती कम नहीं हो रही। अवैध कारोबार में राजनीतिक संरक्षण ही पुलिस के काम में सबसे बड़ा बाधक है। शहर खुलेआम सट्टा और जुआ का खेल चल रहा है। शाम होते ही सट्टा लगना शुरू हो जाता है और देर रात तक चलता है। दुर्ग का नामी सटोरिया जो दुर्ग, भिलाई, कुम्हारी, अहिवारा में अपना सट्टा कारोबार फैलाए हुए हैं। मुख्य सटोरिया शहर में नहीं होते बाहर से ही अपने गुर्गे के माध्यम से वे सट्टे का संचालन करते हैं उसके गुर्गे शहर में उनकी कुर्सी के आड़ में कारोबार को अंजाम देते हैं पुलिस की कार्यवाही होते हैं तब मुख्य सरगना तो नहीं परंतु छोटे-छोटे गुर्गे दबोचे लिए जाते हैं और मामूली धारा लगने के कारण आसानी से छूट भी जाते हैं और भी उसी काम में लग जाते हैं।
नेतागिरी हावी
सट्टा और जुए के अड्डेबाज सत्ता से जुड़े नेताओं के साथ मिलकर सफेद खादी के कुर्ता पायजामा पहनकर पुलिस को जेब में रखने का दम भर रहे हैं इन्हीं नेताओं की इच्छा शक्ति के आगे पुलिस प्रशासन और सरकार में बैठे नुमाइंदे नतमस्तक हैं देखना यह है कि आखिर पुलिस प्रशासन कब तक छूटभैया नेताओं का दबाव झेलते रहेगी कभी ना कभी तो पुलिस का स्वाभिमान जागेगी ही? ग्रुप में काले कारोबार का जाल पूरी तरह बिछ चुका है सट्टा -जुआ नशीली दवाई का कारोबार अबाध गति से फल फूल रहा है शहर की पुलिस किसी भी स्तर में अपने कानूनी अधिकार के अंतर्गत कार्य नहीं कर पा रही है किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने पर पुलिस के ऊपर छूटभैया नेताओं के द्वारा भारी दबाव डाला जाता है जिससे पुलिस अब कानून व्यवस्था के अलावा किसी और पक्ष की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देती है लोगों के शिकायत पर पुलिस द्वारा सट्टा और जुआ के संबंधित ठिकानों में दबिश देकर गिरफ्तारी की कार्यवाही की जाती है लेकिन 2 दिन के बाद सब सामान्य उसी तरीके से चलने लगता है पकड़े गए सटोरियों पर मामूली धारा लगती है जिससे वे आसानी से छूट जाते हैं या फिर छूटभैये नेताओं द्वारा थाने स्तर से सटोरियों को छुडा कर ले जाते हैं इसलिए कि वह उन्हीं के आदमी होते हैं दुर्ग में सत्ता और जुआ तीव्र गति के साथ नौनिहालों के साथ युवा पीढ़ी को मजबूती के साथ जकड़ लिया है इस कारोबार की असर जड़ छूट भैया नेता है जो अपने राजनीतिक हित को साधने के लिए रातों-रात करोड़पति बनने की लालच के चलते शहर को सट्टा और जुए और नशे के कारोबार में युवाओं को धकेल दिया है पूरे शहर में हर गली मोहल्ले में अड्डे का संचालन या संरक्षण किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी के छुटभैया नेताओं के अधीन संचालित हो रहा है।
