
दुर्ग, । भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए पोषण अभियान के अंतर्गत कुपोषण मुक्त ग्राम पंचायत बनाने की दिशा में सरपंचों और जनप्रतिनिधियों की भूमिका सराहनीय बनती जा रही है। इस अभियान के तहत पूरे प्रदेश में दुर्ग जिले में सबसे अधिक 77 ग्राम पंचायतों को चयनित किया गया है, जहां अगले 6 माह में कुपोषण को कम करने का लक्ष्य तय किया गया है।
जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री अजय कुमार साहू ने बताया कि चयनित ग्राम पंचायतों में 247 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाएं, पर्यवेक्षक और परियोजना अधिकारी समन्वय से कार्य कर रहे हैं। अभियान के तहत राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान कुपोषण से मुक्त हुए ग्राम पंचायतों का मूल्यांकन किया जाएगा और सर्वाधिक कुपोषण से मुक्त हुए पंचायतों को विभाग की ओर से एक लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। अभियान में जनप्रतिनिधियों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। कई सरपंच अपने निजी खर्च से कुपोषित बच्चों को चना, मूंगफली, मुर्रा, गुड़ और केला जैसी पोषक सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। करेला पंचायत में सरपंच डॉ. राजेश बंछोर द्वारा बच्चों को पोषण सामग्री वितरित की गई है। पहदा झा पंचायत में सरपंच दिनेश ठाकुर ने पोषण सामग्री दी है। जामगांव एम की सरपंच श्रीमती तुलसी सिन्हा ने 7 केंद्रों के लिए चना, मूंगफली और गुड़ उपलब्ध कराया। धौराभाठा में सरपंच विनय चंद्राकर द्वारा सप्ताह में दो दिन दूध और केला दिया जा रहा है। छांटा पंचायत में भी दूध और केला उपलब्ध कराया जा रहा है। सांतरा पंचायत में सरपंच श्रीमती ज्योति गोलू चंद्राकर ने कुपोषित बच्चों को गोद लेकर पोषण सामग्री उपलब्ध करवाई है। इन सभी ग्राम पंचायतों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा रेडी टू ईट मिलाकर लड्डू बनाया गया है। जिसे रोज कुपोषित बच्चों को खिलाया जाता है। चिन्हांकित ग्राम पंचायतों को कुपोषण मुक्त करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार गृहभेंट कर कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के खान-पान में विशेष ध्यान दे रही है। इस अभियान में महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ-साथ जनप्रतिनिधि भी भरपूर सहयोग कर रहे हैं।