
विस्तार
रविकांत मिश्रा
भिलाई: शहर में होने वाली चर्चाओं की दुनियां में भूचाल मचाने वाली चर्चा निकल कर सामने आई है. कहानी हर बार की तरह महकमे से जुड़े एक साहेब की है. दमड़ी लेकर तो हरेक साहेब काम की परमिशन देते रहे हैं. लेकिन इन साहेब के मिजाज कुछ हटके है. ऐसे में इनकी नीयत को एक कबाड़ी ने भांप ली. फिर क्या था. कबाड़ी ने मौक का फायदा उठाकर बिना एक दमड़ी खर्च करे सिर्फ चमड़ी देकर अपना काम निकला रहा है।अब पर्दे के पीछ चल रही कहानी बेपर्दा हो गई तो जमात से लेकर महकमे के लोगों को चर्चा धीरे-धीरे पहुंचने लगी है. अधीनस्थ यह करते फिर रह हैं कि साहेब की पोस्टिंग ही ऐसी जगह हुई है, जहां हाथ में सोटा पकड़ने को मिला है, इसलिए साहबे को आम के आम और घुटलियों के दाम भी मिल रहे हैं. लेकिन जब से उस अज्ञात कबाड़ी का नाम आया है. उसकी खोजबीन में उनकी जमात से जुड़े लोगो से लेकर महकमे के लोग उसके बारे में जानने के लिए जिग्यासु हो चुके हैं. शहर में होने वाले खेल के बड़े आयोजन से ज्यादा महकमे के लोग इसी जुगत में भिंड़े हुए हैं कि आखिर ये शख्स है तो है कौन ? इधर महकमे में चली आ रही किवदंती कि दमड़ी से काम न चले तो किसी भी मर्ज का चमड़ी रामबाण इलाज है. ये बात सिद्ध हो गई है!