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रविकांत मिश्रा
दुर्ग: जिले में पुलिस का इकबाल पुलिस के नुमाइंदे ही खत्म कर रहे हैं।जिले के पुलिस थानों में कई पुलिसकर्मी ऐसे हैं जो बरसों से यहां अंगद की तरह पैर जमाए बैठे हैं। सूत्रों की माने तो क्षेत्र के अपराधियों से भी इन पुलिस कर्मियों के अटूट रिश्ते बन चुके हैं?अपराधियों के साथ ये पुलिसकर्मी अवैध धंधों में लिप्त हैं?और पुलिस की गुप्त सूचनाए अपराधियों तक पहुंचा रहे हैं?
तबादला होता भी है तो जेक जुगाड़ लगाकर कर फिर लौट आते हैं
इन पुलिसकर्मियों के पुलिस उच्चाधिकारी और नेताओं से अच्छे सम्बन्ध हैं। जिसके कारण उनका थाने से तबादला ही नहीं होता है। कोई नया अधिकारी आने पर इनका तबादला भी हो जाता है तो ये पुलिसकर्मी इधर-उधर से जुगाड़ बैठाकर फिर वहीं लौट आते हैं।
तीन साल से ज्यादा नहीं टिक सकते
पुलिस मुख्यालय के स्पष्ट आदेश हैं कि पुलिस कांस्टेबल व हैडकांस्टेबल एक थाने में 3 साल से ज्यादा पदस्थापित नहीं रह सकते, लेकिन हालात यह है कि दुर्ग जिले के कई थाने और और सीएसपी कार्यालयों मे पुलिस मुख्यालय के इन आदेशों की धज्जियां उड़ रही हैं। कई पुलिसकर्मी ऐसे हैं जो एक ही थाने में कई सालों से टिके हुए हैं।
अच्छे भी हो रहे बदनाम
थानों में कई अच्छे, ईमानदार और पुलिस के समर्पित पुलिसकर्मी भी हैं। उनका अपराधियों में पूरा खौफ भी है। पुलिस के बड़े खुलासों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, लेकिन थानों में अपराधियों से साजबाज होकर काम कर रहे पुलिसकर्मियों के कारण कुछ अच्छे पुलिसकर्मियों पर भी उंगली उठना शुरू हो जाती है।