सावन में बोटी और रोटी से दूर रहे फिर भी बॉस के जाने की मन्नत नहीं हुई पूरी…

दुर्ग. दोस्तों महकमे में सावन सोमवार से जुड़ी कहानी ने कुछ लोगों के आंख में आंसू ला लिए हैं, अब इन अश्रु को खुशी के कहें या फिर दुख के ये तो आप तय करिएगा. दरअसल जिले में बीते 6 माह से एक ऐसा अफसर तैनात है, जिससे उसके अधीनस्थ काफी परेशान हैं. कड़क मिजाज के अफसर के खौफ का अंदाजा इसी बात लगाया जा सकता है. रात में सोते समय ज्यादातर पुलिस कर्मी यह सोचकर करवटें बदल-बदल कर सोचते रहते हैं कि कही कप्तान उन्हें न टांग दे, इसलिए अधीनस्थ उनके जाने की मन्नत मांगते रहते हैं. सावन महीना आते ही रोजाना मदिरा के साथ बोटियां तोड़ने वालों ने भी इस बार सांवन आते ही इससे किनारा कर लिया. भोलेनाथ की भक्ती में पूरी तरह लीन हो गए, ताकि भोले बाबा उनकी सुन ले और उनकी सिंघमगिरी निकालने वाले कप्तान साहब के विदाई की ख्वाइश को पूरी कर दें. पांचों सोमवार को शिद्दत से मंदिर गए. एक वाचक के टोटकों का भी अनुसरण किया. सावन बीत गया भादौ आ गया लेकिन बर्फानी बाबा ने उनकी एक न सुनी. इतना ही नहीं साहब से शाबाशी पाने के लिए भरसक जतन किए, हुआ उसका उल्टा. कप्तान की नजर पड़ते ही बेचारे मेहनतकश होनहार भाई सहाब को कोंटे पटक दिया गया. अब कहानी जानकर सुनकर संगवारी यही बोल रहे हैं कि सावन में बोटी और रोटी छोड़ी फिर भी बेचारे की मन्नत पूरी नहीं हुई.

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