बिलासपुर उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला: सिटी मजिस्ट्रेट पर 25 हजार रुपए का जुर्माना

बिलासपुर । बिलासपुर उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कोरबा के सिटी मजिस्ट्रेट गौतम सिंह पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने के मामले में लगाया गया है।

मामला लक्ष्मण साकेत नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जो बालको में कार्यरत हैं और कोरबा के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में रहते हैं। उनकी पत्नी के साथ घरेलू विवाद चल रहा है। पत्नी ने पति के खिलाफ सिविल लाइन पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर पुलिस ने महिला के पति पर सीआरपीसी की धारा 107, 16 के तहत कार्रवाई की। उसे गिरफ्तार कर सिटी मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पेश किया।

सिटी मजिस्ट्रेट ने उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया था, जो घरेलू विवाद के कारण उनकी पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर था। सिटी मजिस्ट्रेट ने साल्वेंट श्योरिटी का शर्त लगाया था, जो शाम हो जाने के कारण पूरा नहीं हो सका था।

सिटी मजिस्ट्रेट के फैसले को पीड़ित व्यक्ति ने बिलासपुर उच्च न्यायालय में अपने अधिवक्ता के माध्यम से चुनौती दिया था। यह तर्क दिया गया था कि सिटी मजिस्ट्रेट को साल्वेंट श्योरिटी मांगने का अधिकार नहीं है।

इस याचिका पर बिलासपुर उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं न्यायाधीश बीडी गुरु की पीठ में सुनवाई हुई। न्यायालय में अभियोजन और बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क रखा। मामले की सुनवाई पूरी होने पर न्यायाधीश ने सिटी मजिस्ट्रेट के फैसले को अवैध करार दिया और याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार का हनन बताया।

मामले में कोर्ट ने कोरबा पुलिस, अपर कलेक्टर पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। इसका भुगतान 30 दिन के भीतर करना होगा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के अनुसार बिलासपुर उच्च न्यायालय में उनकी ओर से रीट संख्या डब्ल्यूपीसीआर नंबर 237/2024 पर याचिका दायर की गई थी। इसमें छत्तीसगढ़ सरकार के मुय सचिव, सिटी मजिस्ट्रेट कोरबा, गृह विभाग के सचिव, पुलिस अधीक्षक कोरबा, सिविल लाइन के थाना प्रभारी और थाने में मामले की शिकायत करने वाली महिला संध्या साकेत को पक्षकार बनाया गया था।

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