सर्पदंश से घायल 7 वर्षीय मासूम की इलाज में लापरवाही से मौत, अस्पताल में डॉक्टर नहीं थे मौजूद


बलरामपुर। जिले के रघुनाथनगर सिविल अस्पताल में इलाज में गंभीर लापरवाही के चलते एक 7 वर्षीय मासूम की मौत हो गई। रविवार देर शाम सांप के काटने के बाद परिजन बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिल पाया। मृतक बच्चा पंडो जनजाति से था।

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल पहुंचने पर वहां न तो कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही इमरजेंसी सेवाएं सक्रिय थीं। एक नर्स ने बच्चे को 102 वाहन से वहीं के मेडिकल ऑफिसर डॉ. अनिल सिंह के निजी क्लीनिक भेज दिया। जब डॉक्टर को पता चला कि बच्चा सर्पदंश का शिकार है, तो उसे फिर से सिविल अस्पताल भेज दिया गया। लेकिन तब तक बच्चे की हालत बेहद गंभीर हो चुकी थी और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई।

डॉक्टरों की गैरमौजूदगी पर सवाल खड़े
घटना से आक्रोशित परिजनों ने बताया कि यदि समय पर इलाज मिल जाता तो बच्चा बच सकता था। यह पहली बार नहीं है जब अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति से किसी की जान गई हो। पीड़ित परिवार ने रघुनाथनगर थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस मौके पर पहुंचकर जांच कर रही है।

CMHO ने दी जांच और कार्रवाई की बात
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बसंत सिंह ने मामले की जानकारी मिलने पर जांच का भरोसा दिलाया है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है।

प्रशासनिक लापरवाही ने छीनी मासूम की जान
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब मरीज को सिविल अस्पताल लाया गया था, तो उसे निजी क्लीनिक क्यों भेजा गया? और अगर अस्पताल में सर्पदंश का इलाज संभव नहीं था, तो उसे तुरंत मेडिकल कॉलेज रेफर क्यों नहीं किया गया? यह घटना सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की गंभीर खामियों की ओर इशारा करती है। अब देखना यह है कि इस मामले में प्रशासन क्या ठोस कदम उठाता है।

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