
गोविंदा चौहान । भिलाई.
प्रदेश के इकालौते चार निकायों वाले शहर में शहर सरकार चलाने वाले नेताजी और नेताइन में नूरा कुश्ती का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है । स्थिति ऐसी है कि नेताइन जो आदेश पारित करने की कोशिश करती हैं । नेताजी बिल्ली की तरह उनका रास्ता काट देते हैं.
दरअसल तीन साल पहले जब सत्ता में आने के बाद शिखर का सुख भोजने की बारी आई तो नेताजी को यकीन था कि उस कुर्सी के वे इकलौते दावेदार है,हो भी क्यों ना, नेताजी सबसे सीनियर जो थे ।लेकिन कुर्सी तक पहुंचने की दौड़ में नेताजी कहीं चूक गए। हालांकि आला कमान उन्हें निराश नहीं किया। एक बड़ा पद थमाकर उनके अंदर फूट रही चिंगारी को शांत करा दिया. लेकिन लोगों को बहार से शांत दिखने वाले नेताजी के अंदर अंगार उगल रहे थे। बस उसी टीस का नतीजा है कि ऐसे एक नौसिखिया के सामने हर बार नेताजी ऐसी गुगली फेंक देते हैं।
जो नेताइन को खाते बनती और न निगलते बनती है. कहते हैं तीस मार खां से भी कभी चूक हो जाती है। ऐसी चूक नेताजी से उनकी गुगली खाली गई मामला आला कमान तक पहुंच गया. खूब फटकार लगी. इसके सबको लगा कि नेताजी सुधर जाएंगे. लेकिन ये नेताजी फितरत बदलने वालों में से नहीं थे। अब नेताइयों नाकों तले चने चबाने में कोई कसर नहीं छोड़ते है, इसलिए पल्ली पार के नेताजी और नेताइन में टांग खिंचाई की नूरा कुश्ती की चर्चा थमने का नाम ही नहीं ले रही है.