सुमड़ी में बैठकर मेवा खाने वाले थानेदार साहब की खुली पोल

दुर्ग। भिलाई । पिछले दिनों कप्तान साहब ने बल्क में थानेदारों के तबादले किए थे. उस दौरान शहरी चकाचौंध का मजा लेने वाले टीआई साहबों को ग्रामीण इलाकों की धूल चालने भेज दिया गया था. एसपी साहब का आदेश था. मन मारकर भी थाना ज्वाइन करना था सो कर लिया. अब महीने- दो महीन समय बिताने पर पुराने कोतवाल साहबों के कारनामों की पोल खुलने लगी है. ऐसे ही एक ग्रामीण थानेदार की चर्चा महकमे में खूब हो रही है. कहने को थानेदार साहब चहरे से सीधे-साधे थे. अपने हाव-भाव से खुद को बेचारा बनाकर रखते थे. लेकिन जैसे ही नए थानेदार साहब उनके कारनामों की जानकारी मिली तो उन्होंने अपना माथ पकड़ लिया. एक अलग सब डिवीजन में आने वाले थाने में पदस्थ रहे टीआई महोदय अपने पूरे कार्यकाल रोजनदार पर खूब जुआ चलवाते रहे. सुबह फड़ लगवाते और शाम को अपना पेमेंट ले लेते थे. महीनों तक सुमड़ी में खेला चलता रहा. बेमन से जब नए थानेदार साहब ने आदम दी तो उन्हें अब जाकर उस खेला की भनक लग गई. सो उनके भी मन में लड्डू फूटने लगे. उन्होंने भी खेला चालू तो करा दिया लेकिन तब तक पुराने थानेदार के कारनामों की खबर ऊपर तक पहुंच चुकी थी इसलिए उनका खेला चालू होते ही बंद हो गया. अब बेचारे थानेदार के पास टीस निकालने के अलावा कुछ नहीं बचा, सो जो भी उनसे मिलने पहुंचा तो सुमड़ी में बैठकर मलाई खाने वाले टीआई साहब के किस्से सुनकर अपना मन हक्ला कर रहे हैं…

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