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गोविंदा चौहान
भिलाई:शहर का चौतरफा विकास और बढ़ती आबादी के परिणामस्वरूप शहर की सीमा से लगे इलाकों में अवैध प्लॉटिंग भी तेजी के साथ बढ़ रहा है। कृषि जमीनों को खरीदकर भू-माफिया उक्त जमीन की प्लाटिंग कर अवैध रूप से करोड़ों कमा रहे हैं। शासन के बनाए मापदंडों नीति-निर्देशों का भी खुला उल्लंघन कई जगहों पर हो रहा है। कोहका, कुरुद, ढांचा भवन, ढोंर,कचांदुर और जामुल पालिका क्षेत्र मे इन दिनों जोर शोर से अवैध प्लाटिंग का कारोबार बेखौफ हो रहा है।
शासन-प्रशासन के सारे नियमों को ताक पर रखकर खेत खलिहान की आवासीय प्लाट के रूप में खरीदी बिक्री हो रही है।
हालात यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोज कहीं ना कहीं कालोनी का नक्शा खींचा जा रहा है। नियमानुसार कालोनाइजर एक्ट के तहत सभी औपचारिकता पूरा करने के बाद जमीन की खरीदी बिक्री होनी चाहिए, लेकिन बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कालोनी विकसित हो रहे हैं बल्कि खेत-खलिहान का आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग भी हो रही है। क्षेत्र मे धड़ल्ले से चल रही अवैध प्लाटिंग में पटवारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है।
शहर व इससे लगे गांवों में तेजी से हो रही है प्लॉटिंग

टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अंतर्गत जमीन का पंजीयन कराए जाने के उपरांत डायवर्सन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है लेकिन शहर में इन सब नियमों का लगातार उल्लंघन हो रहा है। शहर में आधे से ज्यादा प्लाट अवैध प्लाट की गिरफ्त में है। साथ ही शहरी सीमा से लगे गांवों में भी बिना डायवर्सन के प्लाट काटकर बेचने का खेल चल रहा है। गौरतलब है कि भू-माफियाओं द्वारा काटे जा रहे कई ऐसे अवैध प्लाट हैं जो नियम से छानबीन की जाए तो अवैध प्लाटिंग के अंतर्गत आ सकता है, परंतु प्रशासन के ढुलमुल रवैए के चलते बहुत से ऐसे प्लाटों पर कड़ाई से कार्रवाई नहीं हो रही है। मामले में सांठगांठ का आरोप लग रहे हैं।
वही भू-माफिया द्वारा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारटी (रेरा) को दरकिनार कर प्लाट बेच रहे है। जबकि आवासीय नियमों के तहत किसी भी भूमि को उपखंड़ो में बेचने के लिए अनुमति लेना जरूरी है। मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में लोग कृषि भूमि खरीद रहे हैं, जिसके बाद उस जमीन में प्लाटिंग की जा रही है। फिर चाहें बाईपास हो या जिले भर मे बड़े पैमाने पर अवैध प्लाट काटे जा रहे हैं। जिससे रोकने मे जिला प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है।
अवैध निर्माण की वजह से शहरी क्षेत्रों का सुनियोजित विकास नहीं हो पा रहा है तो वही गांव का नक्शा भी बिगड़ रहा है, साथ ही लोग भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। अवैध तरीके से कालोनी बसाने वाले भू-माफियाओं ने अपनी सारी हदें पार कर दी हैं। नियमों को ताक में रख खुलेआम लोगों के साथ ठगी कर उनकी आंखों में धूल झोंकने में लगे हैं। सारी सुविधाएं मुहैया कराने का झांसा देकर भोले-भाले लोगों को फांसने वाले इन जमीन दलालो को खुली छूट व प्रशासन की चुप्प्पी अनेक सवाल खड़ा कर रहा है।
वही अवैध प्लाटिंग में लगे जमीन दलाल व सरकारी अमले की मिली भगत से बड़ी मात्रा में बड़े रकबे का नामांतरण हो रहा है। तथा बिना ले आउट अनुमोदन कराए व्यपवर्तित भूमि को छोटे-छोटे टुकडों मे बेचा जा रहा है, जिसके कारण अवैध प्लाटिंग एवं भूमि विवाद बढ़ रहा है। भविष्य मे ऐसे भूमि के खरीददारों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।