महादेव बुक के मेन ऑपरेटर सौरभ चंद्राकर को पकड़ने में दिमाग लगाने की जगह पुलिस ने प्यादों को पकड़कर थपथपाई पीठ

गोविंदा चौहान
भिलाई: ऑनलाइन सट्‌टा कारोबार में जिले की पुलिस ने दूसरी कार्रवाई की है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब महीनेभर पहले दुबई से आए महादेव बुक आईडी के एक बुकी सौरभ शुक्ला को पकड़ लिया है। सौरभ के अलावा सागर सिंह, बाबू, सन्नी, एस. सुनिल, अमन खान, अनिल झुमरू समेत आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि इस कार्रवाई पर भलेही अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन इस कारोबार के जुड़े नेटवर्क एक छोर तक भी पुलिस पहुंच नहीं सकी है। पुलिस अभी तक इस बात की तफ्दीश नहीं कर सकी है कि उनका नेटवर्क प्रदेश के दुर्ग संभाग के किस-किस क्षेत्रों में है और किस जिले में कितने सटोरी पूरे गेम के मास्टरमाइंड बनकर बैठे हैं। इसके अलावा पुलिस जांच में भिलाई में महादेव का बड़ा बुकी काले उर्फ जितेंद्र पंडित के गुर्गे सचिन का नाम अभी तक उजागर नहीं हुआ है। जबकि सचिन ही काले की अनुपस्थिति में दुर्ग, भिलाई, रायपुर राजनांदगांव, बिलासपुर तक नए बुकी तैयार करके उन्हें काम बंटता रहा है।

महादेव की राजधानी में गूंज पहुंचने पर पुलिस की टूटी नींद

ऑनलाइन सट्‌टे कारोबार के तार भिलाई से जुड़े होने की गूंज राजधानी तक पहुंच चुकी है। इसके चलते पुलिस के पास कार्रवाई के अलावा कोई विकल्प नहीं शेष रह गया था। इस बीच नेटवर्क खंगालने में जुटे पुलिस की टीम को बुकी सौरभ शुक्ला के बारे में जानकारी मिली। महादेव आईडी के बड़े बुकियों में एक सौरभ भी ऐसा व्यक्ति है, जो दुबई में बैठे आकाओं के दर्शन करके आ चुका है। बताया जा रहा है कि सौरभ ने ही सागर सिंह, बाबू व अन्य तीन लोगों को दुबई सैर कराई थी।

छोटे से बुकी ने 80 हजार रुपए तक की सैलरी पर काम पर रखे
ऑनलाइन सट्‌टे महादेव से जुड़कर होने वाली कमाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। समुंद्र जैसे विशाल नेटवर्क का छोटा सा हिस्सा काले उर्फ जितेंद्र अपने नीचे काम करने वालों को 20 हजार से लेकर 80 हजार रुपए हर महीने सैलरी देता है। सचिन को 80 हजार रुपए, सन्नी को 20 हजार दिया जाता है। लेकिन बड़ा राजदार सचिन है। उस तक भी पुलिस आसानी से पहुंच सकती थी। अब कार्रवाई के बाद संभवत: अपने मालिकों की तरह अंडरग्राउंड हो जाएगा।

मुख्य सरगनाओं में से एक सौरभ चंद्राकर तक पहुंचना नहीं चाहती पुलिस
महादेव बुक आईडी के मुख्य सरगनाह कौन है। किस-किस ने इसमें अपना पैसा इनवेस्ट कर रखा है। इसके बारे में उनसे जुड़े लोगों के अलावा कोई नहीं जानता। उन तक पहुंचना और उनके बारे में खुलासा करने पुलिस के लिए दिवा स्वपन जैसा है। लेकिन उन लोगों के साथ 24 घंटे संपर्क में रहने वाला दुबई में बैठे सौरभ चंद्राकर तक पहुंच पाना संभवन है, क्योंकि इस सटोरी का पिता और चाचा जिले की एक निगम में कार्यरत है। ऐसे में उसके सहारे पुलिस आसानी से सौरभ तक पहुंच सकती है। लेकिन भरी थाली में कोई कैसे लात मार दे।

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