
भिलाई: भिलाई नगर निगम के गठन के 20 साल बाद भी शहर की तस्वीर नहीं बदली है इस दौरान अरबों रुपए फुकने के बाद प्रमुख राजनीतिक दल पुरानी योजनाओं और बुनियादी समस्याओं के विकास का सब्जबाग जनता को दिखा रहे हैं। इसके चलते कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के कई प्रत्याशियों को अपने वार्डों में निवासियों द्वारा खरी खरी सुननी पड़ रही है इस दौरान चार नगर सरकारें बदल चुकी है।
भिलाई निगम का सालाना बजट 2 अरब से अधिक का है इसके पहले बजट इससे थोड़ा बहुत काम था निगम का गठन वर्ष 2000 में यानी 20 साल पहले हुआ था पिछले 20 साल में शहर के विकास के नाम पर नगर सरकारें अरबों रुपए खर्च कर चुकी है इसके अलावा राज्य और केंद्र शासन की भी बड़ी राशि जाया हुई है। इस दौरान कांग्रेस और भाजपा दोनों मुख्य दलों की सत्ता भिलाई नगर निगम में रही है।


जोगी शासन सहित नीता लोधी, निर्मला यादव और देवेंद्र यादव के रूप में महापौर कार्यकाल में तीन बार कांग्रेस यहां सत्ता पर काबिज रही इसी तरह 15 साल छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के दौरान विद्या रतन भसीन महापौर रहे दोनों दलों के कार्यकाल में शहर का विकास हुआ लेकिन तस्वीर और तकदीर वैसी नहीं बदली जैसी कि दावे किए गए।आधे शहर यानी पटरी पार का इलाका 20 साल बाद आज भी विकास को लेकर कांग्रेस व भाजपा सरकारों और इनके नेताओं ने चुनाव दर चुनाव बड़े-बड़े लोकलुभावन वादों किये जिसकी बाट जनता खोज रही है। 50 से अधिक वार्डों में फैले इस उपेक्षित इलाकों की श्रमिक बस्तियां और कॉलोनिया नरकीय जीवन जीने को मजबूर है। वहीं बीएसपी प्रबंधक और नगर निगम प्रशासन के बीच दो पाटों को लेकर टाउनशिप भी अपेक्षा का दश झेल रहा है इस दौरान चुनाव में प्रत्याशी फिर उन्हीं पुरानी योजनाओं और वादों को लेकर शहर के विकास को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं इसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। पटरी पार और टाउनशिप दोनों ही इलाकों में कई विवादों में उन्हें लोगों की अवहेलना और असंतोष से रूबरू होना पड़ रहा है। पटरी पार के क्षेत्रवासियों ने बताया कि पिछले 5 साल ही नहीं बल्कि निगम बनने के बाद से अब तक विकास के नाम पर छलावा किया जाता रहा है। कई योजनाएं सालों से अधूरी पड़ी है और बुनियादी सुविधाओं को दुरस्त नहीं किया गया है वर्ष 2021 में महानगर भिलाई की जैसी चमकदार तस्वीर होनी थी उसका इंतजार आज भी उस शहर वासियों को है।

