
दुर्ग। भिलाई स्थित मैत्रीबाग जू में शुक्रवार को एक बेहद दुखद घटना सामने आई। सफेद बाघों के परिवार की अहम सदस्य और लगभग 10 साल की सफेद बाघिन ‘जया’ सुबह अपने केज में मृत अवस्था में मिली। नियमित गश्त के दौरान जब कर्मचारी उसकी हरकत न के बराबर देखे, तो तुरंत इसकी जानकारी वन विभाग और वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। टीम मौके पर पहुंची और बाघिन की मौत की पुष्टि की।
दोपहर में डीएफओ की मौजूदगी में विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा पोस्टमार्टम कराया गया। पशु चिकित्सकों की टीम ने नियमों के अनुसार पोस्टमार्टम के बाद जया का अंतिम संस्कार मैत्रीबाग परिसर में ही पूरा किया।
संक्रमण की आशंका, रिपोर्ट बताएगी असली वजह
प्रारंभिक जांच में अनुमान है कि जया के पेट में किसी गंभीर संक्रमण की वजह से उसकी मौत हुई हो सकती है। हालांकि वन विभाग का कहना है कि वास्तविक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही स्पष्ट होगा।
सफेद बाघ सामान्य बाघों की तुलना में अधिक संवेदनशील होते हैं। मौसम में अचानक गिरावट और बढ़ती ठंड को देखते हुए जू प्रशासन ने हाल ही में उनकी देखभाल में कई बदलाव किए थे—डाइट में सुधार, केज के पास अलाव और अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंध शामिल थे।
सफेद बाघों का गौरवशाली इतिहास
मैत्रीबाग में सफेद बाघ संरक्षण की शुरुआत 1990 में हुई थी, जब ओडिशा के नंदनकानन जू से पहली सफेद बाघ जोड़ी यहां लाई गई थी। इसके बाद इनकी संख्या बढ़कर एक समय 19 तक पहुंच चुकी थी। मैत्रीबाग से ही कई राज्यों—गुजरात, यूपी, झारखंड, एमपी और रायपुर—को सफेद बाघ भेजे गए हैं।
संख्या घटकर केवल 5 रह गई
करीब डेढ़ साल पहले रायपुर जंगल सफारी से लाई गई बाघिन जया, मैत्रीबाग के सफेद बाघ परिवार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। उसकी अचानक मौत ने जू प्रशासन और पशुप्रेमियों को गहरा सदमा पहुंचाया है। घटना के बाद मैत्रीबाग में सफेद बाघों की संख्या घटकर सिर्फ 5 रह गई है।
वन विभाग ने जया की मौत को गंभीरता से लेते हुए विस्तृत जांच शुरू कर दी है, ताकि कारणों का पता चल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।